सूरत पुलिस ने एक मोपेड रोका और 200 करोड़ के अंतरराष्ट्रीय साइबर फ्रॉड का खुलासा किया।
Surat,उधना पुलिस ने अब तक की गई कार्रवाई के तहत सभी लेनदेन के आधार पर मनी ट्रेल पकड़ने के लिए विभिन्न एजेंसियों से भी संपर्क किया है। ED (एनफोर्समेंट डायरेक्टोरेट) और DRI (डायरेक्टोरेट ऑफ रेवेन्यू इंटेलिजेंस) की मदद से इस रैकेट में और भी आरोपियों तक पहुंचने के प्रयास जारी हैं।

पुलिस ने गाड़ी रोका तो खुला फ्रॉड
उधना पुलिस सड़क पर वाहन जांच कर रही थी तभी रोहन नाम के शख्स को गाड़ी के साथ रोका गया। गाड़ी की डिक्की जांचने पर उसमें संदिग्ध दस्तावेज़ और सिक्के मिले। पूछताछ में रोहन ने कबूल किया कि सरथाणा के मित खोखर यह सामग्री पांडेसरा में किसी को देने के लिए भेज रहा था। पुलिस ने तुरंत मित खोखर को गिरफ्तार किया और पूछताछ में पता चला कि उसने गोपीनाथनगर के किरात विनोद जादवाणी के साथ मिलकर कई लोगों से कमीशन के लालच में दस्तावेज़ जुटाए थे और उनके आधार पर चालू खाता खोलवाए थे। मित की ऑफिस की जांच में कई गैरकानूनी दस्तावेज़ मिले, जो किरात जादवाणी तक पहुंचते थे। उसकी ऑफिस से 5 लैपटॉप, 3.50 लाख रुपए नकद, 35 पासबुक, एटीएम कार्ड और पैसे गिनने की मशीन बरामद हुई।
ये दोनों आरोपी देश में बेधड़क साइबर फ्रॉड चला रहे थे। अब तक करीब 100 बैंक अकाउंट्स से लगभग 200 करोड़ का रैकेट चलाया जा रहा था। आरोपी दिव्येश के साथ मिलकर ये दोनों साइबर फ्रॉड की घटनाएं अंजाम दे रहे थे, हालांकि दिव्येश अभी पुलिस की पकड़ से बाहर है।
‘रिच पे’ नाम के टेलीग्राम अकाउंट से कमांड मिलती थी
सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि देश में साइबर फ्रॉड के लिए जो 100 बैंक अकाउंट इस्तेमाल किए जा रहे थे, उन्हें ये तीनों ऑपरेट कर रहे थे। इसके लिए उन्हें क्यूबा से ‘रिच पे’ नाम के टेलीग्राम अकाउंट से कमांड मिलती थी। सभी बैंक अकाउंट चालू खाते (करेंट अकाउंट) थे और वे कमीशन लेकर इन अकाउंट्स पर साइबर फ्रॉड के पैसों का ट्रांजेक्शन करते थे।
यह आरोपी सीधे क्यूबा से जुड़े हुए हैं। उन्हें सभी कमांड और कंट्रोल टेलीग्राम अकाउंट “रिच पे” के माध्यम से मिलते थे। आरोपी पहले दिल्ली के विनीत प्रसाद नाम के शख्स के साथ काम कर रहे थे, जिसका क्रिप्टोकरेंसी का कारोबार था। बाद में आरोपी सीधे “रिच पे” के संपर्क में आ गए। ये आरोपी आठ महीने से ‘रिच पे’ के संपर्क में थे और साइबर फ्रॉड के लिए एक-दूसरे को कमांड देते थे।
आरोपियों ने अपने नेटवर्क के माध्यम से मात्र छह महीने में 10 लाख USDT (अमेरिकी डॉलर से जुड़ी क्रिप्टोकरेंसी) यानी करीब 8.54 करोड़ रुपये की कमाई की थी। उन्होंने सूरत के 100 से ज्यादा बैंक खातों का इस्तेमाल किया, जिनमें से 35 खातों में देश के विभिन्न राज्यों से साइबर फ्रॉड की शिकायतें दर्ज हो चुकी हैं। एक चौंकाने वाली जानकारी के अनुसार, सिर्फ एक बैंक अकाउंट में तीन दिनों में 42 करोड़ रुपये के ट्रांजेक्शन हुए थे।
GST आधारित फेक फर्म्स और करंट अकाउंट
आरोपियों ने फेक प्रोफाइल तैयार की, उसके बाद फेक GST नंबर प्राप्त किया और उसके आधार पर फेक टेक्सटाइल कंपनियों के नाम पर करंट अकाउंट खोलवाए थे। इन खातों से करोड़ों रुपये के ट्रांजेक्शन किए गए हैं। मिली जानकारी के अनुसार, कुछ अकाउंट चीन की बैंकों से भी जुड़े हो सकते हैं, जिस आधार पर उधना पुलिस अब अंतरराष्ट्रीय कनेक्शनों की जांच शुरू कर रही है।
क्यूबा कनेक्शन और रेजर एक्स एप्लिकेशन
जब भी देश में कोई साइबर फ्रॉड होता है, तो वह पैसा एक या दो मुख्य खातों में जमा होता है और वहां से तुरंत ही कई अन्य खातों में ट्रांसफर कर दिया जाता है। इस पैसे की सारी जानकारी क्यूबा को भेजी जाती थी और इसका उपयोग “रेजर एक्स” नामक एप्लिकेशन के माध्यम से किया जाता था।
क्यों नकद नहीं, बल्कि USDT?
आरोपियों को कमीशन रूप में नकद नहीं, बल्कि क्रिप्टोकरेंसी USDT (Tether) में दिया जाता था। हर ट्रांजैक्शन के बाद नेटवर्क के सदस्यों को USDT में कमीशन ट्रांसफर किया जाता था, ताकि वे किसी भी देश की मौद्रिक प्रणाली की पकड़ से बच सकें।
इस बारे में डीसीपी भागीरथ गढ़वी ने बताया कि अब तक पुलिस ने दो आरोपियों को गिरफ्तार किया है, लेकिन मुख्य सरगना दिव्येश अभी पुलिस की पकड़ से दूर है। पुलिस ने कुछ महत्वपूर्ण तकनीकी फॉरेंसिक डेटा के आधार पर और आरोपियों तक पहुंचने की तैयारी कर ली है। लैपटॉप से प्राप्त डेटा में 100 से अधिक बैंक खातों का खुलासा हुआ है।
