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गंभीर ब्रिज हादसा: 1985 में बना था ब्रिज, 40 साल बाद टूटा – लापरवाही का गंभीर आरोप, स्थानीयों का भाजपा पर आक्रोश

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महिसागर नदी पर स्थित गंभीर ब्रिज का निर्माण 1985 में पूरा हुआ था। यह ब्रिज वडोदरा और आनंद जिलों को जोड़ता है। अब इस पुल के गिरने से गुजरात के सड़क और भवन विभाग की भारी लापरवाही सामने आई है।

25 साल की उम्र का ब्रिज 40 साल में टूटा

यह ब्रिज 25 वर्षों के आयुष्यमान के साथ बनाया गया था, लेकिन 40 साल बीत जाने के बावजूद इसका उपयोग चालू रहा। सरकार ने पहले ही नए ब्रिज के निर्माण को मंजूरी दी थी और सर्वेक्षण भी शुरू कर दिया गया था, फिर भी जर्जर ब्रिज को बंद नहीं किया गया।


स्थानीयों का भाजपा सरकार पर सीधा आरोप

स्थानीय निवासियों ने इस हादसे के लिए सीधे तौर पर भाजपा सरकार को जिम्मेदार ठहराया है। उन्होंने कहा कि –”आणंद और वडोदरा जिलों को जोड़ने वाला यह ब्रिज भाजपा शासन में रखरखाव के अभाव में टूटा। यह सरकार भ्रष्टाचार में लिप्त है, जिसने 25 साल की उम्र वाले ब्रिज को 45 साल तक चालू रखा और लोगों की जान को खतरे में डाल दिया।
यह हादसा कुदरत का एक तमाचा है भाजपा सरकार के मुंह पर।”


राहत कार्य में स्थानीयों और फायरब्रिगेड की मदद

घटना स्थल से सामने आए दृश्यों के अनुसार, स्थानीय लोग खुद ही बचाव कार्य में जुट गए। कुछ ही देर में फायर ब्रिगेड की टीम भी मौके पर पहुंच गई।हादसे में दो पिकअप वैन, एक इको कार, एक दोपहिया वाहन और एक ट्रक नदी में गिरने की पुष्टि हुई है।


विपक्ष का हमला:

कांग्रेस नेता और विधायक अमित चावड़ा ने इस हादसे पर तंत्र को घेरते हुए कई सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि यह हादसा प्रशासन की नाकामी और ढीली निगरानी प्रणाली का परिणाम है।


यह हादसा केवल एक ब्रिज के गिरने का नहीं, प्रशासनिक तंत्र के ढहने का सबूत है। सरकार को अब जवाब देना ही होगा –”जब नया ब्रिज मंजूर हो चुका था, तो जर्जर पुराने ब्रिज को बंद क्यों नहीं किया गया?”

वडोदरा जिले के पादरा-जंबूसर मार्ग पर महिसागर नदी पर बने 40 साल पुराने गंभीर ब्रिज के गिर जाने से अब तक 16 लोगों की मौत हो चुकी है। हादसे में 7 वाहन नदी में गिर गए, जबकि एक ट्रक ब्रिज पर ही लटक गया। यह ब्रिज आणंद और वडोदरा जिलों को जोड़ता है और मध्य गुजरात व सौराष्ट्र को कनेक्ट करता है।

हादसे के बाद पूरे प्रशासन में हड़कंप मच गया। तत्काल राहत और बचाव कार्य शुरू किया गया। स्थानीय लोग और प्रशासन मिलकर राहत कार्यों में जुटे हुए हैं।


अब तक मृतकों की सूची:

  1. वक़त सिंह मनुभाई जादव (35), कहानवा, जंबूसर
  2. कांजीभाई मेलाभाई माछी (70), गंभीर, आणंद
  3. प्रवीण लालजीभाई जादव (33), उदेव, खंभात
  4. रमेश रावजीभाई पढ़ियार (38), मुझपुर, पादरा
  5. हसमुखभाई महीजीभाई परमार (40), हर्षदपुरा, मजातण, पादरा
  6. नैतिक रमेशभाई पढ़ियार (2), मुझपुर, पादरा
  7. वैदिका रमेशभाई पढ़ियार (6), मुझपुर, पादरा
  8. राजेश ईश्वर चावड़ा (26), देवाण, आकलाव
  9. पर्वत भगवानभाई वागड़िया (20), सरसवा, महिसागर उत्तर
  10. जशभाई शंकरभाई हरिजन (65), गंभीर, आकलाव

घायल व्यक्तियों की सूची:

  1. नरेंद्रसिंह रतनसिंह परमार (45), दहेगाम, गांधीनगर
  2. गणपतसिंह मानसिंह राजपूत (40), राजस्थान
  3. राजुभाई डोडाभाई (30), द्वारका, नानी शिरडी
  4. सोनलबेन रमेशभाई पढ़ियार (35), मुझपुर, पादरा
  5. अरविंदभाई महीजीभाई परमार, मजातण, पादरा
  6. दिलीपभाई रामसिंह पढ़ियार (35), नानी शिरडी

लोगों का आक्रोश:

स्थानीय लोगों का कहना है कि वे कई बार अधिकारियों को ब्रिज की मरम्मत के लिए चेतावनी देते रहे, लेकिन प्रशासन ने अनदेखी की। “रिपेयर करो, रिपेयर करो” की मांग वर्षों से उठती रही, लेकिन कोई कार्य नहीं हुआ। अब इतने जानों के नुकसान के बाद प्रशासन हरकत में आया है।


राजनीतिक प्रतिक्रिया:

विधानसभा में विपक्ष के नेता अमित चावड़ा (आकलाव विधायक) ने सोशल मीडिया पर हादसे का वीडियो साझा कर राज्य सरकार और लोक निर्माण विभाग को घेरा। उन्होंने कहा कि ब्रिज की स्थिति की जानकारी पहले ही दी गई थी, लेकिन समय रहते कोई कदम नहीं उठाया गया।


वैकल्पिक मार्ग घोषित:

हादसे के बाद क्षेत्र में भारी ट्रैफिक जाम की स्थिति बनी। प्रशासन ने तुरंत नया डाइवर्जन रूट घोषित किया है ताकि पादरा-जंबूसर के बीच यातायात सुचारू रूप से चल सके।


यह हादसा न सिर्फ प्रशासन की लापरवाही का नतीजा है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि बुनियादी ढांचे की अनदेखी कितनी बड़ी त्रासदी में तब्दील हो सकती है।

सरकार से अब सवाल उठ रहे हैं – क्या अब भी जवाबदेही तय होगी?

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