शहर के श्रमिक बहुल इलाकों में फर्जी डॉक्टरों की सक्रियता से लोगों की जान पर खतरा मंडरा रहा है। बिना किसी रोक-टोक के, ये झोलाछाप डॉक्टर लोगों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। इन्हें रोकने के लिए कानूनी व्यवस्था या विशेषज्ञों की प्रभावी कार्रवाई का अभाव है, जिससे ये बार-बार सक्रिय हो जाते हैं।
पांडेसरा में हाल ही में एक विवादित अस्पताल का उद्घाटन चर्चा का विषय बना हुआ है। बमरौली रोड पर कर्मयोगी सोसायटी में रविवार को ‘जनसेवा मल्टीस्पेशलिटी अस्पताल’ का शुभारंभ हुआ। लेकिन इस अस्पताल की चर्चा इसके कर्ताधर्ताओं की वजह से हो रही है। अस्पताल शुरू करने वाले तीन डॉक्टरों में से दो पर पहले से झोलाछाप प्रैक्टिस करने के मामले में पुलिस केस दर्ज है। तीसरे संचालक पर 2022 में शराब तस्करी का केस दर्ज हो चुका है।
विवाद बढ़ने पर दो डॉक्टर उद्घाटन समारोह से रहे गैरहाजिर
पांडेसरा में नए अस्पताल के उद्घाटन से जुड़े विवाद के चलते आमंत्रकों में से दो डॉक्टरों ने कार्यक्रम से दूरी बना ली। उद्घाटन समारोह के निमंत्रण पत्र में नामित डॉ. सज्जनकुमार मीना (फिजिशियन) और डॉ. प्रत्यूष गोयल (ऑर्थोपेडिक सर्जन) ने स्थिति की गंभीरता को समझते हुए उद्घाटन में शामिल न होने का निर्णय लिया।
विवाद इतना बढ़ गया कि दोनों विशेषज्ञ डॉक्टरों ने समारोह से अनुपस्थित रहना ही उचित समझा। इससे पूरे इलाके में हंगामा मच गया, और उनकी गैरहाजिरी ने चर्चा को और हवा दे दी।
यह घटना अस्पताल प्रबंधन और झोलाछाप डॉक्टरों के खिलाफ उठ रही आवाजों की पृष्ठभूमि में आई है, जिससे यह मामला और भी गर्म हो गया।
मुख्य विवाद के कारण:
- झोलाछाप डॉक्टरों का रिकॉर्ड:
- बबलू रामआश्रय शुक्ला: जुलाई 2024 में पांडेसरा पुलिस ने झोलाछाप प्रैक्टिस के मामले में इनके खिलाफ केस दर्ज किया था।
- राजाराम दुबे: इन्हीं आरोपों में पांडेसरा पुलिस स्टेशन में एक और मामला दर्ज है।
- डॉ. जी.पी. मिश्रा: ये व्यक्ति BAMS डॉक्टर होने का दावा करते हैं, लेकिन 2022 में इन पर शराब तस्करी का केस दर्ज हुआ था।
- अतिथि के रूप में क्राइम ब्रांच के अधिकारी का नाम:
- अस्पताल की उद्घाटन समारोह की आमंत्रण पत्रिका में क्राइम ब्रांच के जॉइंट पुलिस कमिश्नर राघवेंद्र वत्स का नाम शामिल किया गया। इससे लोग हैरान हैं और यह कदम पुलिस की छवि पर सवाल खड़े कर रहा है।
क्या है मामला?
उद्घाटन में शामिल अधिकारियों के नाम से यह संकेत दिया गया कि उन्हें इन लोगों का समर्थन प्राप्त है। हालांकि, आमंत्रण पत्र भेजने से पहले रिकॉर्ड की जांच नहीं की गई, जिससे यह विवाद खड़ा हुआ। झोलाछाप डॉक्टरों की वजह से जहां एक तरफ लोगों की जान जोखिम में है, वहीं अधिकारियों का नाम जोड़कर इसे वैधता देने का प्रयास सवालों के घेरे में है।
इस घटना ने स्वास्थ्य और प्रशासनिक तंत्र की खामियों को उजागर कर दिया है।