सच्चे प्रेम से खिलवाड़ करना किसी बड़े अपराध से कम नहीं है. प्रेम मनुष्य को अपने अस्तित्व का वास्तविक बोध करवाता है. प्रेम की शक्ति इंसान में उत्साह पैदा करती है. प्रेमरस में डूबी प्रार्थना ही मनुष्य को मानवता के निकट लाती है.
जब तक पुरुष के लिंग में तनाव है…
तब तक वो प्रेम नहीं दे सकता…
अगर किसी स्त्री के पास पुरुष जाता भी है और ये कहता है कि मैं तेरे करीब इस कारण हु की मैं प्यार करता हूँ….
तो ये धोखा है…
गलत है….
सेक्स शरीर की जरूरत है तो ये गलत नहीं है…
पर सेक्स को प्यार कहने की भूल से बचें…
ईमानदार होकर रहें…
अगर सेक्स करना है तो सामने वाले को साफ शब्दों में कहें…
और साथी से पहले खुद को स्पष्ठ कर लें कि मैं प्यार में हूँ या वासना में…
औरत फूल की तरह कोमल होती है…
और फूल को रगड़कर…
नोचकर, उसके शरीर पर निशान बनाकर, या बाहर भीतर घिसकर, प्यार नहीं किया जाता…
स्त्री का शरीर और उसकी योनि की नसें बेहद संवेदनशील होती हैं…
बहुत ज्यादा बारीक होती हैं…
आज जो महिलाएं अपनी डॉक्टर के पास जा रही हैं, उसका एक कारण ये भी है कि उनके शारीरिक सम्बन्धों में हिंसा है…
वासना के वेग के चलते न तो पुरुष को होश रहता और न स्त्री इतनी हिम्मत कर पाती की पुरुष को न कह सके….
और फिर बच्चादानी में हजारो बीमारी लग जाती हैं…
महावारी में भयानक दर्द, ocd, pocd और पता नहीं क्या क्या सहन करना पड़ता है..!!
पुरुष एक्टिव है स्वभाव से और स्त्री पैसिव…
इसलिए यहां पुरुष को समझना चाहिए कि पल भर की वासना के लिए किसी स्त्री का शरीर खराब न करें…
वैसे भी अगर सेक्स को भी धैर्य और तरीके से किया जाए! और एक ठहराव हो भीतर तो उसके परिणाम दोनों व्यक्तियों के लिए सुखद होते हैं…
और सन्तुष्टि भी मिलती है….
लेकिन जोश में आकर अपनी शक्ति का प्रदर्शन करने वाले पुरुष, कभी भी सन्तुष्टि को उपलब्ध नहीं होते…
जो व्यक्ति विवाहित है…
उन्होंने अनुभव किया होगा कि सालों तक सेक्स करने पर भी उनके भीतर सेक्स इच्छा ज्यों की तँयो है…
इसका कारण यही है कि उन्हें गहराई ही नहीं जानी कभी इस चीज की…
45 मिनेट से पहले तो स्त्री का शरीर खुलता ही नहीं कि वो तुम्हें अपनी बाहों में भरे…
या तुम्हें अनुमति दे कि तुम उसके भीतर प्रवेश करो…
इसलिए फोरप्ले का इतना महत्व है….
और ठीक उसी तरह आफ्टरप्ले भी अर्थ रखता है कि…
तुम्हारी वजह से मैं जीवन ऊर्जा का आनंद ले पाया…
केवल पेनिट्रेशन को सेक्स समझने वाले बलात्कारी हैं…
अपने ही साथी का बल पूर्वक हरण करना…
बलात्कार ही होता है….
आज जो 70 फीसदी महिला ऑर्गेज़्म से अनजान हैं…
उसका कारण सेक्स की अज्ञानता है….
इस बात को अहंकार पर चोट न समझें बल्कि अपने आपको बेहतर बनाने का प्रयास करें….
अपनी महिला मित्र के पैर छुएं…उससे अनुमति लें…
उसके प्रति श्रद्धा भाव रखें…
और इस बात का ध्यान रखें कि उसे दर्द न दें आनंद दें..!!
भले तुम दस मिनट! आधे घंटे का सेक्स कर लो…
पर औरत अछूती ही रह जाती है तुम्हारे स्पर्श से…
और तुम भी अधूरे ही लौटकर आते हो….
बहुत धीरे धीरे शरीर तैयार होता है…
बहुत धीरे धीरे वो द्वार खुलते हैं जब तुम्हें अनुमति मिले…
और ये सब समझने के लिए भीतर स्थिरता चाहिए…
और बिना मेडिटेशन के ये सम्भव नहीं….
बिना मेडिटेशन जीवन उथला ही रहता है…
अगर गहराई चाहिए जीवन में तो ध्यान बहुत जरूरी है….
होश, ठहराव, स्थिरता, धीरज, प्रेम, श्रद्धा, ये सारे शब्द केवल ध्यान करने से ही जीवन में उतरेंग…
किताबे पढ़ने या ज्ञान सुनने से कुछ नहीं होगा…
बाकी फिर कभी…!!
दोस्तों….
प्यार और सेक्स दोनों अलग अलग चीजें होती हैं….
दोनों को एक ना समझें….
धीरे धीरे कोई चीज तैयार होती है…
आदमी सोचता है सब जल्दी हो जाए, मर्द जल्दी तैयार होता है मगर औरत धीरे धीरे तैयार होती है…
और ये सब काम जल्दी करने की चीज नहीं है…
जब तक दोनों का दिल ना हो नहीं करना चाहिए…
जब तक अनुमति ना मिले ना करें…!!
प्रेम के प्रकार
प्रेम के तीन प्रकार होते हैं:
- प्रेम जो आकर्षण से पैदा होता है।
- जो सुख सुविधा के लोभ से पैदा होता है।
- और, दिव्य प्रेम।
प्रेम जो आकर्षण से पैदा होता है, वह क्षणिक होता है। क्योंकि वह अज्ञान या सम्मोहन के कारण से होता है। इसमें आपका आकर्षण से जल्दी ही मोह भंग हो जाता है और आप ऊब जाते हैं। यह प्रेम धीरे-धीरे कम होने लगता है और भय, अनिश्चिता, असुरक्षा और उदासी लाता है।
जो प्रेम सुख सुविधा से मिलता है वह घनिष्टता लाता है परन्तु उसमें कोई जोश, उत्साह, या आनंद नहीं होता है। उदाहरण के लिए आप एक नए मित्र की तुलना में अपने पुराने मित्र के साथ अधिक सुविधापूर्ण महसूस करते हैं क्योंकि वह आपसे परिचित है।
कुछ औरत तो आजकल अपनी योंन सुख संतुष्ट करने के लिए प्रेम का नाटक कर अपनी हवस की वासनाओं को पूरा करती हैं
शारीरिक सुख पाने की हवस में लड़की की आंखों पर ऐसा परदा पड़ जाता है कि वह अपने प्रेमी की असलियत नहीं समझ पाती.उस में इंसान की परख करने की क्षमता नहीं रहती है. वह बारबार नए आदमी के साथ हमबिस्तर होती है, वह भी खुलेआम.
कुछ औरत तो आजकल अपनी योंन सुख संतुष्ट करने के लिए प्रेम का नाटक कर अपनी हवस की वासनाओं को पूरा करती हैं और फिर उसी व्यकित पर योन शोषण की फरियाद भी करती हैं ?
लड़कियों को ध्यान रखना चाहिए कि जिस के लिए प्यार का मतलब सिर्फ सैक्स है, वह उन के मतलब का नहीं. जिम्मेदारी लेना, रिश्तों को निभाना उस के बस में होना चाहिए. ऐसे लड़के कम होते हैं जो बेवफाई देख कर भी खामोशी ओढ़े रहें, उस के खून में जैसे कोई गरमी ही न हो, जैसे उस की रीढ़ की हड्डी न हो. दब्बू और कायर प्रेमी, जो अपनी प्रेमिका की तमाम गलत हरकतें देखते हुए भी खामोशी ओढ़े रहें, कम ही होते हैं. हर हाल में माफ करने और उस के साथ रहने को लालायित प्रेमी भी नहीं मिलते, याद रखें.
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