राजकोट के मूल रिबड़ा गांव के रहने वाले और फिलहाल शहर में बसे पाटीदार युवक अमित खूंट पर दर्ज किया गया बलात्कार का केस पूरी तरह से एक साजिश था, ऐसा खुलासा राजकोट रूरल पुलिस ने किया है। पुलिस ने जांच को तेज़ करते हुए गोंडल के कांग्रेस नेता दिनेश पातर और राजकोट के वकील संजय पंडित को गिरफ्तार कर लिया है। इसके अलावा एक युवती को भी हिरासत में लिया गया है।



यह मामला आत्महत्या के लिए मजबूर करने से जुड़ा हुआ है और पुलिस अब आरोपियों की रिमांड की मांग करेगी, जिससे और भी चौंकाने वाले तथ्य सामने आने की संभावना जताई जा रही है। इस केस में एक कथित पत्रकार बृजेश, जो सोशल मीडिया चैनल चलाता है, का नाम भी सामने आया है और पुलिस अधिकारी ने संकेत दिए हैं कि जल्द ही उसकी भी गिरफ्तारी हो सकती है।
अमित दामजीभाई खूंट ने रिबड़ा में अपनी वाड़ी पर पेड़ की शाखा से फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी। इस मामले में गोंडल थाना पुलिस ने अनिरुद्धसिंह महिपतसिंह जाडेजा, राजदीपसिंह अनिरुद्धसिंह जाडेजा, पूजा राजगोर और एक नाबालिग लड़की के खिलाफ आत्महत्या के लिए उकसाने का केस दर्ज कर उन्हें पकड़ने की कार्यवाही शुरू की थी।
ऐसे हुआ पूरे षड्यंत्र का खुलासा:
जांच की ज़िम्मेदारी राजकोट रूरल एलसीबी के इंस्पेक्टर ओडेदरा को सौंपी गई थी और एसपी हिमकरसिंह ने इसकी निगरानी शुरू की। सबसे पहले नाबालिग लड़की और पूजा जे. राजगोर को मंगलवार को हिरासत में लिया गया। पूछताछ के दौरान पूजा राजगोर ने पुलिस के सामने एक बड़ा खुलासा किया।
उसने बताया कि ‘एक्स’ नामक एक व्यक्ति (जो एक शक्तिशाली नेता का बेहद करीबी बताया गया) ने उससे संपर्क किया और कहा कि अमित खूंट, जो रिबड़ा से है, से पहले सोशल मीडिया पर दोस्ती करो, फिर प्रेम संबंध बनाओ और फिर झूठा बलात्कार केस दर्ज करवाओ। उस व्यक्ति ने लालच दिया था कि अगर वे ऐसा करने में सफल होते हैं, तो अच्छी नौकरी, पैसे और जीवनभर की सेटिंग कर दी जाएगी।
पूजा ने यह लालच नाबालिग लड़की को भी दिया, और दोनों ने अपने-अपने सोशल मीडिया अकाउंट्स से अमित खूंट और उसके दोस्तों को फ्रेंड रिक्वेस्ट भेजी। अमित के अधिकतर दोस्तों ने फ्रेंड रिक्वेस्ट अस्वीकार कर दी, लेकिन अमित ने नाबालिग की रिक्वेस्ट स्वीकार कर ली। इसके बाद दोस्ती, प्रेम और फिर संबंध तक का सिलसिला चला.
इस केस में सामने आ रहे हैं कई अहम मोड़:
- मॉडलिंग करने वाली नाबालिग से संपर्क कर इस तरह की साजिश की गई।
- इस साजिश में एक एक्स नामक व्यक्ति, एक कथित पत्रकार, और दो वकील — दिनेश पातर व संजय पंडित शामिल हैं।
- यह सब एक सस्पेंस थ्रिलर फिल्म की कहानी जैसी साजिश थी।
अब पुलिस करेगी अलग-अलग धाराओं में कार्रवाई:
- अगर बलात्कार हुआ था — तो अमित के खिलाफ एबेटेड समरी दर्ज होगी, लेकिन साजिश में शामिल सभी लोगों पर पोक्सो, आपराधिक षड्यंत्र और ट्रैफिकिंग कानून के तहत मुकदमा चलेगा।
- अगर बलात्कार नहीं हुआ था — तो नाबालिग और उसे उकसाने वालों के खिलाफ झूठा केस दर्ज कराने के लिए अलग मुकदमा चलेगा।
राजकोट रूरल क्राइम ब्रांच ने अमित खूंट केस में तथ्यों के साथ सच्चाई उजागर कर दी है, लेकिन मामला यहीं तक सीमित नहीं है। अगर नाबालिग लड़की और पूजा राजगोर द्वारा दिए गए बयान सही साबित होते हैं, तो पुलिस दो अलग-अलग बिंदुओं, अधिनियमों और धाराओं की जांच कर सकती है। इसके आधार पर पुलिस राजकोट के ए डिवीजन थाने में पूरी साजिश रचने के आरोप में अलग से मुकदमा दर्ज कर सकती है या फिर इस मामले में शामिल गिरोह के खिलाफ षड्यंत्र की धाराओं के तहत कार्रवाई कर सकती है, ऐसा कानूनी विशेषज्ञों का कहना है।
नाबालिग ने अमित खूंट पर राजकोट के ए डिवीजन पुलिस थाने में बलात्कार की शिकायत दर्ज करवाई थी। गिरफ्तारी से पहले ही अमित ने आत्महत्या कर ली थी। जांच में यह सामने आया कि अमित ने एक पूरे गिरोह के मानसिक उत्पीड़न के कारण आत्महत्या जैसा कदम उठाया था। बुधवार को राजकोट रूरल क्राइम ब्रांच ने बड़ा खुलासा करते हुए बताया कि अमित खूंट के खिलाफ एक साजिश रची गई थी, जिसे खुद शिकायतकर्ता नाबालिग और उसकी सहेली पूजा राजगोर ने भी स्पष्ट कर दिया है। अब जब पुलिस को इन बातों के पर्याप्त सबूत मिल गए हैं, तो उन्हें ए डिवीजन थाने में पोक्सो एक्ट के तहत दर्ज मामले में आगे की कानूनी कार्रवाई करनी होगी।
1) अगर बलात्कार हुआ था:
गोंडल पुलिस के समक्ष नाबालिग द्वारा दिए गए बयान (धारा 164 के तहत) में अगर उसने कहा हो कि उसके साथ बलात्कार हुआ है, तो अमित खूंट के खिलाफ एबेटेड समरी दाखिल की जाएगी। वहीं साजिश में शामिल नए नामों के खिलाफ पोक्सो एक्ट, आपराधिक षड्यंत्र और अनैतिक व्यापार रोकथाम अधिनियम (Immoral Trafficking Act) के तहत मुकदमा दर्ज किया जा सकता है। कानून विशेषज्ञों के अनुसार, किसी नाबालिग से जबरदस्ती कराना या इसके लिए उसे प्रेरित करना भी अपराध है। चूंकि इस मामले में दो प्रसिद्ध वकीलों – दिनेश पातर और संजय पंडित – के नाम सामने आए हैं, इसलिए उनके अलावा जो भी लोग इस षड्यंत्र में सहयोगी रहे होंगे, उन सभी पर कानूनी शिकंजा कसा जाएगा।
2) अगर बलात्कार नहीं हुआ था:
अगर नाबालिग ने अपने बयान में कहा है कि उसके साथ कोई बलात्कार नहीं हुआ था, तो उसके खिलाफ पोक्सो एक्ट के तहत निर्दोष को फंसाने का मामला दर्ज हो सकता है। साथ ही, उसे इस झूठे आरोप के लिए उकसाने वालों के खिलाफ भी अलग से केस दर्ज हो सकता है। कानून विशेषज्ञों का कहना है कि झूठा आरोप लगाना और किसी को गलत तरीके से फंसाना भी गंभीर अपराध है।
