कुख्यात गुजसीटोक आरोपी आशीष उर्फ़ चिकना पांडे की जेल से रिहाई के साथ ही फ़िल्मी अंदाज़ में काले कारों के काफिले के साथ निकाला रोड़ शो
सूरत में कानून और व्यवस्था की धज्जियां उड़ाने वाली एक घटना सामने आई है। कुख्यात गुजसीटोक आरोपी आशीष उर्फ़ ‘चीकना’ पांडे की जेल से रिहाई के बाद उसका फिल्मी अंदाज में स्वागत किया गया। उसे लेने के लिए जेल के बाहर समर्थकों की भारी भीड़ उमड़ी और हैरानी की बात यह रही कि एक जेल कर्मचारी ने भी उससे हाथ मिलाया। इसके बाद ब्लैक कारों के बड़े काफिले के साथ रोड शो निकाला गया, जिसका वीडियो वायरल होते ही पूरे शहर में चर्चा का विषय बन गया।
‘चीकना’ पांडे का फिल्मी स्वागत
आशीष उर्फ़ ‘चीकना’ पांडे, जो लालू जालिम गैंग का सक्रिय गुंडा है और दो बार पासा के तहत जेल जा चुका है, हाल ही में गुजसीटोक कानून के तहत जेल से रिहा हुआ है। आम तौर पर ऐसे कानून से अपराधियों में डर पैदा होता है, लेकिन चीकना पांडे की रिहाई के समय के दृश्य देखकर ऐसा लगा जैसे किसी समाजसेवी का सम्मान हो रहा हो।
गुंडे के साथियों ने पैर छुए
जेल से बाहर निकलते ही उसके करीब 40-50 समर्थक पैर छूने लगे। जेल के मुख्य गेट के बाहर पार्किंग क्षेत्र में ये लोग जमा हुए थे।

जेल कर्मचारी भी आरोपी से हाथ मिलाते दिखा
वीडियो का सबसे चौंकाने वाला हिस्सा यह था कि एक जेल कर्मचारी भी चीकना पांडे से हाथ मिलाता नजर आया। इस दृश्य ने कानून के रक्षकों की भूमिका पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए।
काले कारों के काफिले के साथ रोड शो
चीकना को लेने 7-8 काली कारों का काफिला आया। इनमें से एक काले शीशों वाली स्कॉर्पियो कार में आशीष (चीकना) बैठा था। कार में बैठकर उसने ‘विक्ट्री’ का साइन दिखाया। वीडियो बनाकर इसे इंस्टाग्राम पर ‘रील’ के रूप में डाला गया, जो तेजी से वायरल हो गया। यह संदेश दिया गया कि “कानून चाहे कितना भी सख्त हो, हमें कोई फर्क नहीं पड़ता।”








जेल प्रशासन का बयान
सूरत सब-जेल के डीवाईएसपी डी.पी. भट्ट ने बताया कि घटना जेल परिसर के बाहर जनरल पार्किंग में हुई। हमारे कर्मचारियों ने लोगों को हटा दिया था। जांच जारी है।
26 से अधिक मामले और गुजसीटोक का कवच
चीकना पर हत्या, हत्या की कोशिश, अपहरण, लूट, खंडणी, धमकी, आतंक और आर्म्स एक्ट जैसे 26 से ज्यादा गंभीर अपराध दर्ज हैं। चार साल पहले उसे उत्तर प्रदेश के महुली गांव से पकड़ा गया था। उसकी गैंग अमरोली, कतारगाम, डीसीबी, वराछा, ओलपाड और सोंगढ में सक्रिय थी।
पुलिस के लिए चुनौती
गुजसीटोक कानून असामाजिक तत्वों पर काबू पाने के लिए बनाया गया था, लेकिन सूरत की यह घटना इस कानून की प्रभावशीलता पर सवाल खड़े करती है। अब देखना यह है कि पुलिस तंत्र ऐसे गुंडों पर कड़ी कार्रवाई करता है या वे कानून को खुलेआम चुनौती देते रहेंगे।